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नित्यानंद का कैलासा: आध्यात्मिकता या पंथ का धोखा?

भ्रांति से मुक्ति: नित्यानंद का रहस्य

आध्यात्मिक नेताओं के अनुयायी होना एक स्वाभाविक घटना है और यह अक्सर बहुत से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कुछ पंथ जीवन की सार्थकता को समझने के तरीके होते हैं और कई सदीयों तक चलते हैं। लेकिन फिर ऐसे रहस्यमय पंथ आते हैं जो अचानक लोगों की सोच को झकझोर कर रख देते हैं। हाल ही में, "कैलासा" और इसके संस्थापक "नित्यानंद" का नाम फिर से चर्चा में आया है। कैलासा एक काल्पनिक देश है जिसका सम्बन्ध नित्यानंद से है। कुछ साल पहले कैलासा सुर्खियों में आया था, लेकिन हाल में संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इसकी उपस्थिति ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया है।


विजयप्रिया नित्यानंद: सुर्खियों में नाम

हाल ही में, एक वीडियो में एक सॉफ़्रन वस्त्रधारी महिला को संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते देखा गया। विजयप्रिया ने कैलासा का प्रतिनिधित्व किया और उनके गले में रुद्राक्ष, माथे पर मांग-टीका था, जो उन्हें पारंपरिक हिंदू महिला के रूप में प्रस्तुत करता था। उन्हें कैलासा के संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत के रूप में पेश किया गया। उनके साथ कैलासा के अन्य प्रमुख सदस्य भी थे, जैसे कि कैलासा सेंट लुईस की प्रमुख सोना कामत, कैलासा यूके की प्रमुख नित्या आत्मादायकी, कैलासा फ्रांस की प्रमुख नित्या वेंकटेशानंद और कैलासा स्लोवेनिया की प्रमुख माँ प्रियम्परा नित्यानंदा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र बैठक में नित्यानंद का एक पोस्टर भी पेश किया।

विजयप्रिया ने अपने भाषण में कहा कि उनके गुरु नित्यानंद को भारत में प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन इसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण जारी किया और भारत और इस काल्पनिक देश के बीच करीबी संबंधों की मांग की। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि ऐसी प्रस्तुतियाँ अंतिम परिणाम ड्राफ्ट में शामिल नहीं की जाएंगी।




शुरुआत की चिंगारी

नित्यानंद के जीवन की यात्रा बहुत सारे अध्यायों से भरी हुई है, लेकिन उनके नाम की पहली चिंगारी उनके भक्त 'जनार्धन शर्मा' से मिली। जनार्धन शर्मा नित्यानंद के भक्त थे और उन्होंने शिकायत की कि उनकी बेटियों को बेंगलुरू से अहमदाबाद लाया गया है बिना उनकी अनुमति के। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब बिना उनके सहमति के किया गया है, जो कि एक अपराध है। अहमदाबाद के आश्रम ने कहा कि नीतियों के अनुसार, कोई भी बच्चा अपने माता-पिता से बिना अनुमति के नहीं मिल सकता। 15 नवंबर 2019 को इस मुद्दे ने अहमदाबाद में हलचल मचा दी। पुलिस ने आश्रम की जांच की लेकिन बेटियों का कोई पता नहीं चला।


18 नवंबर 2019 को, जनार्धन शर्मा की बेटी नंदिता शर्मा ने वीडियो कॉल पर आकर आश्वस्त किया कि वह यात्रा कर रही हैं और पंथ के काम में शामिल हैं, इसलिए डरने की कोई बात नहीं है।


यह सवाल सिर्फ यह नहीं है कि उस रात क्या हुआ था या क्या गलत किया गया था, बल्कि यह एक मौका है यह समझने का कि कैसे आध्यात्मिकता के नाम पर पंथ बन जाते हैं जो समाज की मूलभूत प्रकृति को तोड़ते हैं। ऐसे पंथ 'मोक्ष' को पाने के लिए अपने तरीके को ही एकमात्र रास्ता मानते हैं। यह पंथ समाज के नियमों और मानदंडों से ऊपर मानते हैं और अपने ही तरीके को सही मानते हैं।


2000 के दशक की शुरुआत में नित्यानंद की कल्पना

नित्यानंद के प्रारंभिक विचार तिरुवन्नामलई से जुड़े हुए थे, जो तमिलनाडु का एक आध्यात्मिक केंद्र है। नित्यानंद ने खुद को रामकृष्ण मठ का शिष्य बताया और दावा किया कि उन्होंने प्रकृति से एक अलौकिक अनुभव प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने बिदादी में 5 जनवरी 2003 को अपना आश्रम स्थापित किया। इस आश्रम ने कई भक्तों के सपनों को पूरा करने का रास्ता तैयार किया और एक अद्वितीय पंथ का निर्माण किया।


2009: पहला झटका

भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक नेता की पहचान ब्रह्मचर्य पर आधारित होती है, और अगर एक नेता इसका पालन नहीं करता है तो पंथ की साख खतरे में पड़ जाती है। 2009 में एक वीडियो में नित्यानंद के महिला भक्तों के साथ आपत्तिजनक व्यवहार का दावा किया गया। इससे भक्तों में घबराहट फैल गई कि कैसे एक ईश्वर जैसा व्यक्ति ऐसा कर सकता है। पुलिस ने नित्यानंद को गिरफ्तार किया और कर्नाटक CID ने उसे हिमाचल प्रदेश से अदालत में पेश किया। नित्यानंद ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वह दूसरों के दृष्टिकोण का शिकार हैं।


2012: आढीनाम का उदय

आढीनाम शैव दर्शन और परंपरा का एक प्रमुख पद है। 2012 में, अरुणागिरिनाथ और श्री ज्ञान संबद्ध देशिका परमाचार्य स्वामी ने नित्यानंद को आढीनाम के पद पर नियुक्त किया। इस नियुक्ति से कई धार्मिक समूह और पंथ नाराज हो गए। इसके बाद, नित्यानंद को आढीनाम की भूमिका से हटा दिया गया और उसकी आपराधिक आरोपों की वजह से बहुत दबाव आया।


कैलासा का पुनर्जन्म

कैलासा सामान्य रूप से एक पवित्र पर्वत के रूप में जाना जाता है, जो पश्चिमी हिमालय में स्थित है और हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, और बोन धर्म में महत्वपूर्ण है। नित्यानंद ने कैलासा के रूप में एक नए पंथ का निर्माण किया और खुद को "शिव" का अवतार बताया। उन्होंने अपने अनुयायियों को मोक्ष और शाश्वत शांति का आश्वासन दिया। नित्यानंद ने कैलासा को एक काल्पनिक देश के रूप में प्रस्तुत किया, जो अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।


लेखक की राय

भारत आध्यात्मिक विविधता के लिए जाना जाता है और दुनिया को आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान करता है। पंथों की संस्कृति ने पारंपरिक भारतीय शैली को प्रभावित किया है। यह सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व या प्रशासनिक कार्यबल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चिंता का विषय है। हमें इन रहस्यमय पंथों से सतर्क रहने की आवश्यकता है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी समाज को प्रभावित करते हैं। यह भारत का कर्तव्य है कि ऐसे व्यक्तियों को पहचानने और उन्हें रोकने के लिए सक्षम रहे जो भारत की छवि को बिगाड़ते हैं।


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